बुधवार, 28 अप्रैल 2021

HOMO DEUS की समीक्षा जैसा कुछ



प्रस्तावना- यह लेख बहुत पहले 2020 में कभी लिखा गया था। मेरे फेसबुक पर प्रथम बार प्रकाशित हुआ था। इस कार्य के समर्पित ब्लाग के शुरू करने पर पुन: प्रकाशित कर रहा हूँ।  वर्ष 2019 की शुरूआत में एक किताब खत्म की थी जिसे खत्म करने मे कुछ समय ज्यादा लग गया था। लेकिन उसकी चर्चा करना चाहता हूँ। युवाल नोवाह हरारी (Yuval Noah Harari) एक ऐसा लेखक जिसको पढ़ने के बाद ज्ञान की अवधारणाओं पर पड़ी सलवटें हट जाती है। (ynharari(.)com ) इस वेबसाइट पर जाकर उनके बारे में जाना जा सकता है।
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किताब का नाम :  'Homo deus' 
लेखक : युवाल नोवाह हरारी (Yuval Noah Harari) 
प्रकाशक : Vintage 
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...अथ...
                किताबें पढ़ना चाहिए ...उपदेश देना आसान है। पर मैं गाँधी (मोहन दास करमचंद गाँधी) पर विश्वास करता हूँ।
{स्पष्टीकरण: ऊपर पूरा नाम देना जरूरी तो नहीं था लेकिन मेरे कुछ मित्र (और बहुत से लोग RI+nRI) चुनावी बुखार से पिड़ीत हैं वे भड़क सकते हैं कि मैं किसी और गाँधी का जिक्र कर रहा हूँ।जिसका एक देश की किसी राजनीतिक पार्टी से संबंध/सर्वाधिकार/ प्रायोजित बेजा कब्जा है। एक देश की राजनीति पर कभी और बात करूंगा।}
                गाँधी ने कहा था उपदेश को पहले अमल में लाओ फिर दूसरों से उम्मीद रखना।
किताब में बहुत कुछ था लेकिन उसकी कुछ बातों की ही चर्चा करूंगा। वैसे इसका हिन्दी अनुवाद भी आ गया है।
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"what might happen to the world when old myths are coupled with new godlike technologies, such as artificial intelligence and genetic engineering."
अर्थात क्या होगा दुनिया का जब पुरानी पौराणिक कथाओं का मेल होगा नई दैवीय तकनीकों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और आनुवांशिकी अभियांत्रिकी(GE) से।
.....
आया कुछ समझ में........कोई बात नहीं कुछ और भी सवाल हैं -
            * क्या होगा लोकतंत्र का जब हमें और हमारे अंतर्मन (?)[हमारी पसंद, नापसंद, राजनीतिक रूझान/पसंद] को हमसे/खुदसे कहीं ज्यादा गूगल और फेसबुक जैसे अमूर्त संगठन जानने लगे।
( लोकतंत्र में 98% लोक पर कैसे 2% तंत्र हावी होता है वर्तमान में हम इसके प्रत्यक्ष दृश्य देख ही रहे हैं) [[अमेरिका में यह दुर्घटना बहुत पहले घट चुकी है]][ परिणाम यह होता है कि लोक व तंत्र एकाकार हो जाते है तंत्र का हर कृत्य लोक के माथे पर निशान बनाता चलता है। जैसे लोक ही उत्तरदायी है तंत्र के हर कृत्य के लिये।एकाकार होने के अपने खतरे हैं।यहाँ पहुँचते तक लोक अनायास ही अपने प्रश्न पूछने के अधिकार को खो देते हैं या भूल जाते हैं।फिर अचानक अगर कोई पूछ पड़े तो तंत्र पूछ बैठता है कि पूछने की हिम्मत कैसे की। चलो चुपचाप से नारे लगाओ।
{ जॉर्ज ऑरवेल की "1984" को पढ़ें नारे लगाने की प्रक्रिया समझ जाएंगे। "1984" अभी खत्म नहीं हुई, खत्म होने पर उस पर बात करेंगे। फिलहाल "1984" को साक्षात 2019 में एक देश में घटित होते हुए देखते रहिए। 1947-48 की किताब 2019 में भी सच के रूप में घटित हो रही है(ये आश्चर्य है)}
            ** क्या होगा कल्याणकारी राज्य का जब कंप्यूटर व उससे जनित नई तकनीक मनुष्य अर्थात लोक को जाब मार्केट/ नौकरी के बाजार से बाहर ढकेल देगी; फिर इस वृहद "अनुपयोगी वर्ग" का क्या होगा।
[क्या ये प्रश्न भयानक है, याद करें फरवरी 2019 को जब 45 साल में पहली बार बेरोजगारी अपने चरम पर थी।(मैं एक देश की बात कर रहा हूँ कृपया अलग संदर्भ में ना लें) सितंबर 2019 आते-आते मंदी की भयानक चपेट में हैं एक देश के लोग)]
[यहाँ यह बताना लाजमी है कि % वाले आंकड़े को बेहतर करने के लिये उत्पादन के आंकड़े के बजाए उत्पाद के मूल्य आधारित प्रणाली (फार्मूला) बनाया गया। आधार वर्ष भी बदला गया। फिर भी % वाला आंकड़ा धरातल से रसातल की ओर क्यों जाने के लिये फड़फड़ा रहा है पता नहीं।][ कृपया स्वतंत्र स्त्रोतों एवं विशेषज्ञों से इसकी पुष्टि कर लें। कुछ अन्यथा हो तो बताने का कष्ट करें। वो क्या है ना कि मैं एक देश की अर्थव्यवस्था के बारे में कम जानता हूँ क्योंकि स्कूलों में हमारे देश में अर्थव्यवस्था ठीक से पढ़ाई नहीं जाती]
            *** (Homo sapiens becomes Homo deus)
क्या होगा जब मनुष्य 'बुद्धिमान मानव' से स्वंभू 'देव मानव' बन जाएगा और स्वयं को ही भगवान घोषित कर देगा। यहाँ समझ लें कि 'देव मानव' होना और फर्जी बाबाओं का स्वयं को भगवान घोषित करना अलग है। 'देव मानव' तकनीक और विज्ञान की मदद से सर्व शक्तिशाली मनुष्य की रचना करने से है। [ स्टींफस हॉकिन्स याद है मशीन और तकनीक से बना महान मानव वैज्ञानिक, यह शुरूवात मात्र थी।
        **** इस स्वंभू देव मानव के (क्या मैं इसे भस्मासुर/भस्मादेव कह सकता हूँ ?) धरती पर राजभार/सत्ताभार लेने के बाद धरतीवासियों की क्या प्राथमिकताएं होगी धरती को बचाने की जो पहले ही अपने अस्तित्व के लिये संघर्षरत है। लेकिन देव मानव की शक्तियाँ अतुलनीय हैं अपने समकालीन बुद्धिमान मानव से।
[ Homo Sapiens ने एक परमाणु बम बनाकर इस्तेमाल किया था आज तक उसका ईलाज खोज नहीं पाए हैं Homo Deus (देव मानव) क्या करने वाला है..? सोचिए....सोचते रहिए.....]
                ..क्या आखिर के तीन शब्द प्रताड़ना जैसे लग रहे हैं... 
कोई बात नहीं एक देश में लगभग मुफ्त और लगभग मुक्त डाटा प्रवाह है ( हिमाच्छादित प्रदेश को छोड़कर) मनोरंजन के लिये बहुत कुछ है जहाँ पढ़ना, लिखना, सोचना जैसी वाहयात संक्रियाओं की आवश्यकता नहीं होती। 
                अंत में हरारी  की सभी किताबें कमाल है। एक प्रोफेसर होने के कारण उनके वर्णन शैली व्याख्यात्मक है। इतिहास को लेकर एक नई अंर्तदृष्टि विकसित करती है। जरूर पढ़े। 

....ना...इति.... 


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